सोमवार, मई 26, 2014

देवों की घाटी / बलराम अग्रवाल



दोस्तो,  'कथायात्रा' में 29 जनवरी,2013 से अपने यात्रापरक बाल एवं किशोर उपन्यास 'देवों की घाटी' के कुछ अंशों को प्रस्तुत करना शुरू किया था। आज 26 मई, 2014 की शाम को भारत के 15वें प्रधानमंत्री के रूप में श्री नरेंद्र मोदी ने संविधान सम्मत शपथ ली है। उम्मीद है कि वे देश की अपेक्षाओं पर खरे उतरेंगे। उनको बधाई देने साथ ही प्रस्तुत है 'देवों की घाटी' उपन्यास की बाईसवीं कड़ी
गतांक से आगे
                                                                                                                            (बाईसवीं कड़ी)
‘‘काफी समय पहले इस जगह का नाम चट्टीघाट था।’’ दादाजी ने बताना शुरू किया,‘‘और यहाँ से कुछ दूर उधर, अलकनन्दा के पुल को पार करने के बाद एक गाँव आता हैभ्यूँडार।’’
‘‘भ्यूँडार!’’
‘‘हाँ।’’ दादाजी इस बार जरा तनकर बैठ गए। उनकी आँखों में पुरानी यादों की चमकसी नजर आने लगी।
पुलना-भ्यूंडार गाँव जून 2013 में प्राकृतिक आपदा के बाद का रूप चन्द्रशेखर चौहान के फोटोशॉप अलबम से साभार

  ‘‘यह मेरे एक जिगरी दोस्त का गाँव है।’’ वे आगे बोले,‘‘भगतसिंह चौहान का गाँव। उसका बेटा चन्द्रशेखर उन दिनों मणिका जितनी उम्र का था। वह भी बहुत अच्छा लड़का था। एकदम अपने मातापिता की तरह सीधासच्चा और जहीन।’’ इतना कहकर वे भावावेश के कारण चुप हो गए।
‘‘आगे बताइए न!’’ उन्हें चुप देखकर निक्की बोला।
फूलों की घाटी से जुड़ा वन : जून 2013 में प्राकृतिक आपदा के बाद का ध्वस्त  रूप चन्द्रशेखर चौहान के फोटोशॉप अलबम से साभार
‘‘भ्यूँडार से कुछ आगे घंघरिया नाम का एक गाँव है।’’ भावावेश पर काबू पाकर दादाजी बताने लगे,‘‘घंघरिया के बायें किनारे पर पुष्पतोया नाम की नदी बहती है । इस नदी के किनारेकिनारे करीब पाँच किलोमीटर तक का क्षेत्र अनगिनत तरह के फूलों से भरा पड़ा है। सन् 1931 में स्माइल नाम के एक अंग्रेज घुमक्कड़ ने फूलों से भरे इस क्षेत्र की भव्यता से चकाचैंध होकर इसे फ्लावर वैली ऑफ गढ़वालयानी गढ़वाल की फूलों की घाटीनाम दिया था। तब से यह इसी नाम से जानी जाती है और दुनियाभर से लोग इसे देखकर आनन्दित होने आते हैं।’’
‘‘फूलों की घाटी समुद्रतल से कितनी ऊँचाई पर होगी दादाजी?’’ मणिका ने पूछा।
‘‘होगी करीब दस हजार फुट की ऊँचाई पर।’’
‘‘इससे ऊपर भी कोई जगह है?’’
‘‘हाँ है…’’ दादाजी बोले,‘‘और वह भी संसारभर में प्रसिद्ध हैहेमकुण्ट साहिबसिख भाइयों का महत्वपूर्ण तीर्थ । यह करीब तेरह हजार फुट की ऊँचाई पर बना है। पहले इस जगह का नाम हेमकुण्ट लोकपाल था। लोकपाल यानी भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण जी ने यहाँ तपस्या की थी। सिखों के गुरु गोविंद सिंह जी स्वयं द्वारा लिखित विचित्र नाटकमें एक स्थान पर कहते हैं कि सप्तश्रृंग नामक पर्वत श्रेणियों के बीच हेमकुण्ट नाम की पर्वत चोटी पर किसी समय में उन्होंने तप किया था। बाद में इसी आधार पर सिखों ने गुरुदेव की याद में यहाँ पर गुरुद्वारा बना दिया। तभी से इस चट्टीघाटका नाम भी गोविंदघाटपड़ गया।’’
बदरीनाथ या हेमकुण्ट साहिब की यात्रा पर जाने वाले तीर्थयात्री गोविंदघाट के श्रीराम मन्दिर में मत्था टेकने के बहाने कुछ देर आराम कर लेते हैं। वे आराम करते हैं तो उनकी गाड़ियों के इंजनों को भी कुछ देर आराम मिल जाता है। लम्बी दूरी तय करने वाले ड्राइवर गाड़ी के  इंजन की सेहत का उतना ही ध्यान रखते हैं जितना कि अपनी खुद की सेहत का। सुरक्षित यात्रा के लिए यह परम आवश्यक है कि गाड़ी और उसके इंजन की सेहत का पूरा ध्यान रखा जाय।
आराम करने के बाद जब सभी टैक्सी में आ बैठे तो अल्ताफ ने उसे स्टार्ट कर दिया। सभी लोग गोविंदघाट की सुन्दरता का आस्वाद मन ही मन ले रहे थे, इसीलिए चुप थे। अल्ताफ तो रहता ही अक्सर चुप था सो वह टैक्सी चलाता रहा। कुछ ही देर में टैक्सी को उसने पाण्डुकेश्वर के निकट पहुँचा दिया।
‘‘सुनो,’’ दादाजी अचानक बोले,‘‘मैंने उत्तराखण्ड के प्रयाग तुमको गिनाए थे न।’’
‘‘जी।’’
‘‘उनमें पाँच उत्तराखण्ड के प्रमुख प्रयाग कहलाते हैं। उसी तरह केदारनाथ और बदरीनाथ की भी पाँचपाँच शाखाएँ हैं जिन्हें पंचकेदार और पंचबदरी के नाम से जाना जाता है। आगे पंचबदरी में से एकपाण्डुकेश्वर आने वाला है।’’
‘‘आप उन सभी के नाम बताइए न!’’ मणिका बोली।
‘‘ठीक है। सुनो, पहले मैं तुमको पंचकेदार के नाम गिनाता हूँपहला केदारनाथ तो प्रमुख है ही। दूसरा मध्यमहेश्वरय यह केदारनाथ जाने वाले रास्ते में कालीमठ नाम की जगह के पास पड़ता है। तीसरा तुंगनाथय यह गोपेश्वरऊखीमठ मार्ग पर चैपता के पास पड़ता है। चौथा रुद्रनाथय यह भी उसी मार्ग पर गोपेश्वर से करीब बारह किलोमीटर दूर मण्डलचट्टी गाँव से पैदल मार्ग पर करीब 20–25 किलोमीटर की दूरी पर बड़े मनोहर स्थान पर स्थित है और पाँचवाँ कल्पेश्वर। पैदल यात्रा कर सकने वाले साहसी लोग रुद्रनाथ से ही उरगम घाटी में स्थित कल्पेश्वर केदारनाथ के दर्शन के लिए जाते हैं।’’
‘‘अब पंचबदरियों के नाम गिनवाइए बाबूजी।’’ इस बार ममता बोली।  
‘‘सुनोबदरीनाथ, आदि बदरी, भविष्य बदरी, योगध्यान बदरी और वृद्ध बदरीये पाँचों पंचबदरी कहलाते हैं। धार्मिक लोग, विशेष रूप से संन्यासी, इन पाँचों ही बदरी स्थानों के दर्शन कर अपने ज्ञान अनुभव और तप को सार्थक करते हैं।’’
टैक्सी के पाण्डुकेश्वर की सीमा में प्रवेश करते ही दादाजी ने पुन: उसी के बारे में बताना शुरू कर दिया,‘‘हस्तिनापुर के राजा पाण्डु एक शाप के कारण अपना सारा राज्य अपने बड़े भाई धृतराष्ट्र को सौंपकर वन को चले गए थे और अपने अन्तिम दिन उन्होंने वन में ही गुजारे थे। अपनी दोनों पत्नियोंकुन्ती और माद्री के साथ। कहते हैं कि वह इसी क्षेत्र में आकर रहे थे जिससे इस समय हमारी टैक्सी गुजर रही है।’’
‘‘हमारी टैक्सी इस समय किस क्षेत्र से गुजर रहे हैं बाबूजी?’’ ममता ने पूछा; और इससे पहले कि दादाजी उसके सवाल का जवाब दें, सुधाकर बोल उठे,‘‘पाण्डुकेश्वर से।’’
‘‘अरे वाह! आपको कैसे पता चला डैडी?’’ निक्की ने आश्चर्यपूर्वक पूछा।
‘‘भाई बचपन में अम्मा और बाबूजी के साथ आखिर मैं भी रहा हूँ इस इलाके में। सबकुछ थोड़े ही भूल गया हूँ।’’ सुधाकर ने बड़बोले अन्दाज़ में कहा।
‘‘आ…ऽ…हाहाहा, बाहर लगे लैण्डमार्क को पढ़कर इस जगह का नाम बता दिया तो जानकारबन बैठे!’’ तुरन्त ही उनकी बात को काटते हुए ममता बोली,‘‘आप खिड़की के सहारे वाली सीट छोड़कर जरा उधर बैठिए, पीछे वाली सीट पर। तब देखती हूँ कि इस इलाके के बारे में कितनी अच्छी जानकारी अभी भी बाकी है जनाब के भेजे में।’’
‘‘लो यार,’’ सुधाकर बनावटी गुस्सा दिखाते हुए बोले,‘‘न घर में कुछ बोलने देती है न बाहर। कैसी लड़की से आपने मेरी शादी करा दी है बाबूजी? हर समय पति की इज्जत का फलूदा बनाने पर तुली रहती है!’’
बाबूजी ही नहीं, अल्ताफ भी उनके इस अभिनय पर मुस्करा दिया।
‘‘मुझे नहीं बैठना इसके पास।’’ अपनी सीट से उठकर खड़े होने की कोशिश करते वे बोले,‘‘इधर आप आ बैठिए।’’
‘‘दादाजी कैसे उधर बैठ सकते हैं डैडी?’’ उनकी एक्टिंग को वास्तविकता मानकर मणिका घबराए स्वर में बोली।
‘‘वैसे ही बैठ सकते हैं जैसे मैं बैठा हूँ। वो मुझसे ज्यादा मोटे हैं क्या?’’
‘‘बात मोटे या दुबले होने की नहीं है डैडी,’’ मणिका ने समझाते हुए कहा,‘‘आपके इधर आ जाने और दादाजी के उधर चले जाने से हमारा तो कॉम्बीनेशन ही बिगड़ जाएगा।’’
‘‘कैसा कॉम्बीनेशन ?’’ सुधाकर ने पूछा।
                                                                                                               आगामी अंक में जारी