मंगलवार, जून 17, 2025

बात-बतंगड़ / बलराम अग्रवाल

 “वे कह रहे हैं—यह हिमाकत नाकाबिले बर्दाश्त है।”

“क्यों?”

“इसलिए कि… ‘आपका दिन शुभ हो’ की बजाय, गलती से ‘आपका दीन शुभ हो’ टाइप होकर समूह में डल गया। बस, तभी से सारे के सारे सेक्युलर अपना कुर्ता फाड़ डाल रहे हैं। बाँहें कुहनियों तक चढ़ाए, आँखें तरेड़ते खड़े हैं!”

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