गुरुवार, जनवरी 29, 2009

आदमी का बच्चा/बलराम अग्रवाल


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हूँऽ…! चरणों में चढ़ाए गए पचास रुपए के नोट को कुर्ते की जेब के हवाले करते पंडितजी के गले से आवाज निकली। पूछा,कितने बजे के करीब हुआ?
बजे तो ठीक-ठीक नहीं मालूम… पहली बार पिता बने काले-धूसर नौजवान ने उनसे यथेष्ट दूरी पर उकड़ू बैठते हुए बताया,लेकिन, चिड़ियों ने पेड़ों पर चहचहाना शुरू कर दिया था और…सूरज बस उगने-उगने को ही था। पूरब दिशा में लाली तो फैल ही चुकी थी नीचे-नीचे…।
तफ्सीस सुनकर पंडित जी ने पंचांग उठाया। पन्ने पलटकर कुछ पंक्तियों पर तर्जनी को फेरा। फिर कनिष्ठा और अनामिका पर कुछ जोड़ा-घटाया और तनकर बैठ गये।
इतनी देर तक वह नौजवान उत्सुकतावश आँखें फाड़कर उनकी ओर देखता बैठा रहा
बधाई हो कनाईराम, बड़े शुभ-मुहूर्त में पैदा हुआ है बालक… पंडितजी ने अपनी भवें उँची करके बताया,कारों में घूमेगा जिन्दगीभर!
उनकी इस उद्घोषणा पर कनाई का मुँह खुला का खुला रह गया। खुशी से नहीं, संदेह और आशंका से।
कैसी बात करते हैं पंडज्जी…! कुछ देर के भौंचक्केपन के बाद उसके मुँह से स्वत: ही फूटा,कुछ इधर-उधर पड़ गया लगता है हिसाब।
तेरा हिसाब भी मैंने ही लगाया था बेटा…और तेरे बाप का भी। उसकी इस बात पर पंडितजी त्यौरियाँ चढ़ाकर बोले,पिछले पचास सालों से पलट रहा हूँ ये पन्ने। उँगलियों पर आ गया है सारा हिसाब, कॉपी-पेंसिल की जरूरत अब मुझे नहीं पड़ती…।
फिर भी…पंडज्जी…। कनाई हकलाया।
विद्याधर की कही हुई कोई बात आज तक तो गलत निकली नहीं कभी! अपने ज्योतिष-ज्ञान की तड़ी उस पर पेलते हुए पंडितजी बोले,मेरी इस घोषणा को तू आम बात मत समझ, तेरे बेटे के बारे में यह मेरी भविष्यवाणी है भविष्यवाणी!
उनकी इस बात पर कनाई जैसे फिर-से मूक हो गया। कुछेक पल वह अन्यमनस्क-सा चुप बैठा रहा। खदान-मालिकों की बीवियों और बेटियों की कारों की खिड़कियों पर पंजे जमाए बैठे, जमीन पर उछलने-कूदने की हसरत अपनी देह और दृष्टि में भरे, उनकी गोद से निकल भागने को कुलबुलाते-कसमसाते और कारों की खिड़कियों से बाहर झाँकते कुत्तों और पिल्लों के कितने ही दृश्य उसके जेहन में घूम गये।
ये हाथ देखिए पंडज्जी। कोयले-सी काली अपनी कठोर हथेलियों को पंडितजी के आगे करते हुए वह बोला, लोहे के घन से चट्टानों को चटखाने और चूर कर डालने वाले इस कनाई का बेटा है वो सीने को अपनी खुरदुरी हथेली से ठोकते हुए उसने लगभग उत्तेजित अंदाज में बोलना शुरू किया,और खदान में पसीना बहाने वाली एक जवान औरत ने उसे जना है।…शुभ-शुभ बोलो पंडज्जी! उसने कहा,किसी कुत्ते का नहीं, इस आदमी का बच्चा है वह …
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