राज-मिस्त्री ठीक आठ बजे पहुँच गया था। मजदूर, एक वह खुद था और दूसरी उसकी बीवी। शाम तक दो तरफ की दीवारें करीब आधी-आधी खड़ी हो चुकी थीं। तभी, एक ट्रक उसके प्लॉट के आगे आ रुका। उसमें से, गरदन में रामनामी दुपट्टा डाले पच्चीस-तीस नौजवान धड़ाधड़ नीचे आ कूदे।
“किसका कमरा बन रहा है ये?” उनमें से एक ने आगे आकर पूछा।
“मेरा है।“ शरीर पर जगह-जगह गारा लगे रामाधार ने उसके सामने पहुँचकर कहा।
“ये शिलाएँ तुमको कहाँ से मिलीं?” उसने वहाँ पड़ी ईंटों की ओर इशारा करके पूछा।
“रघुनाथ मंदिर के पुजारी से...।” रामाधार ने कड़क आवाज में उत्तर दिया, “खरीदकर लाया हूँ, नगद।”
“बात नगद और उधार की नहीं, इनके गलत इस्तेमाल की है।” रेले के नेता ने उससे भी ज्यादा कड़क आवाज में कहा, “ये ईंटें नहीं, राम-शिलाएँ हैं। इनका इस्तेमाल सिर्फ और सिर्फ राम-मंदिर बनाने में ही हो सकता है, कहीं और नहीं, समझे।”
उसके इस अंदाज से रामाधार तो अलग, उसकी बीवी और राजमिस्त्री भी दहशत में आ गये।
“देखते क्या हो, सारी शिलाओं को डालो ट्रक में...।” नेता ने बस इतना ही कहा था कि साथ आये राम-सेवकों ने ताजा खड़ी की उन दीवारों को एक धक्के में जमीन दिखा दी। उसके बाद वे प्रशिक्षित वानरों की तरह ईंटों पर टूट पड़े।
आनन-फानन में उन्होंने सारी की सारी ईंटें उनके टुकड़ों समेत ट्रक में लाद दीं और खुद भी उस पर जा लदे।
“हिन्दू होकर ऐसा काम करते शर्म आनी चाहिए।” वापस जाते ट्रक में चढ़्ते हुए नेता ने रामाधार पर लानत भेजी, “थूकता हूँ तेरी इस हरकत पर...थू!”
“किसका कमरा बन रहा है ये?” उनमें से एक ने आगे आकर पूछा।
“मेरा है।“ शरीर पर जगह-जगह गारा लगे रामाधार ने उसके सामने पहुँचकर कहा।
“ये शिलाएँ तुमको कहाँ से मिलीं?” उसने वहाँ पड़ी ईंटों की ओर इशारा करके पूछा।
“रघुनाथ मंदिर के पुजारी से...।” रामाधार ने कड़क आवाज में उत्तर दिया, “खरीदकर लाया हूँ, नगद।”
“बात नगद और उधार की नहीं, इनके गलत इस्तेमाल की है।” रेले के नेता ने उससे भी ज्यादा कड़क आवाज में कहा, “ये ईंटें नहीं, राम-शिलाएँ हैं। इनका इस्तेमाल सिर्फ और सिर्फ राम-मंदिर बनाने में ही हो सकता है, कहीं और नहीं, समझे।”
उसके इस अंदाज से रामाधार तो अलग, उसकी बीवी और राजमिस्त्री भी दहशत में आ गये।
फोटो:रतन चन्द्र ‘रत्नेश’ |
आनन-फानन में उन्होंने सारी की सारी ईंटें उनके टुकड़ों समेत ट्रक में लाद दीं और खुद भी उस पर जा लदे।
“हिन्दू होकर ऐसा काम करते शर्म आनी चाहिए।” वापस जाते ट्रक में चढ़्ते हुए नेता ने रामाधार पर लानत भेजी, “थूकता हूँ तेरी इस हरकत पर...थू!”
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